जनवरी 26, 2010

दो बूँद समुद्र के नाम

अश्कों में बड़ी तहजीब है यह हर कहीं पर नही बहा करते ,

हँसी तो बड़ी ज़ाहिल है किसी की बेबसी पर भी आ जाये

मेरी पुस्तक "दो बूँद समुद्र के नाम" से

2 टिप्‍पणियां:

खोरेन्द्र ने कहा…

saral shbdo me bhav gahre

hriday ko sprsh kari hain aapki kavitaaye

Desh Ratna ने कहा…

अश्कों में बड़ी तहजीब है यह हर कहीं पर नही बहा करते , हँसी तो बड़ी ज़ाहिल है किसी की बेबसी पर भी आ जाये

Ye sher khud mein ek puri muqammal ghazal jaisi hai.
Behatareen... Ek es sher ne Maabadaulat ko aapka murid kar diya hai.
Umda... shubhanallah kya khubsurat lafzon ka pairahan hai aur kya sakhta maane ka badan...
Excellent..
Thums Up;)