मार्च 10, 2011

कौन है वो



किसने किया बूंद-बूंद भर कर रिम-झिम सावन
किसने पहनायी इन फूलों को इतने रंगों की पेहरन
चाँद किनारे किसने लटकाई ये रेशमी किरण
लताओं के अन्दर किसने भर दी इतनी थिरकन
 किसने भरी शिशिर की आँचल में इतनी सिरहन
 किसने सिखया कोयल को गाना दे मधुर कुंजन
किसने सिखाया मोर को पिहु-पिहु करके करना नर्तन
कौन करता है नभ के सिने पर मेघों का आच्छादन
कौन है वो जिसके इशारों पर दामिनी करती तर्जन
तितली को करके रंग-बिरंगा भौंरों को किसने दी गुंजन 
किसने भरी सूरज की भृकुटी में इतनी अगन 
बना  नदी,नाले,पहाड़ किसने बनाई दुनिया इतनी मन-भावन  
कौन है वो जिसने थाम रखा है सदियों से ये विशाल गगन
कौन  है जो दिखता नहीं है हमको परदेता हमको स्पंदन 
कौन है जो मिट्टी के सांचे सा बनाता बिगाड़ता   जीवन
निश्चय  ही वो छुपा-छुपाया   बैठा होगा या तेरे या मेरे अंतर्मन
काश! वो एक बार मुझे मिल जाये कंही मैं भी तो देखूं कैसी है उसकी चितवन
आशा पण्डे ओझा मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर" से एक कविता { कौन है वो 


आशा