किसने किया बूंद-बूंद भर कर रिम-झिम सावन
किसने पहनायी इन फूलों को इतने रंगों की पेहरन
चाँद किनारे किसने लटकाई ये रेशमी किरण
लताओं के अन्दर किसने भर दी इतनी थिरकन
किसने भरी शिशिर की आँचल में इतनी सिरहन
किसने सिखया कोयल को गाना दे मधुर कुंजन
किसने सिखाया मोर को पिहु-पिहु करके करना नर्तन
कौन करता है नभ के सिने पर मेघों का आच्छादन
कौन है वो जिसके इशारों पर दामिनी करती तर्जन
तितली को करके रंग-बिरंगा भौंरों को किसने दी गुंजन
किसने भरी सूरज की भृकुटी में इतनी अगन
बना नदी,नाले,पहाड़ किसने बनाई दुनिया इतनी मन-भावन
कौन है वो जिसने थाम रखा है सदियों से ये विशाल गगन
कौन है जो दिखता नहीं है हमको परदेता हमको स्पंदन
कौन है जो मिट्टी के सांचे सा बनाता बिगाड़ता जीवन
निश्चय ही वो छुपा-छुपाया बैठा होगा या तेरे या मेरे अंतर्मन
काश! वो एक बार मुझे मिल जाये कंही मैं भी तो देखूं कैसी है उसकी चितवन
आशा पण्डे ओझा मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर" से एक कविता { कौन है वो
आशा
किसने किया बूंद-बूंद भर कर रिम-झिम सावन
किसने पहनायी इन फूलों को इतने रंगों की पेहरन
चाँद किनारे किसने लटकाई ये रेशमी किरण
लताओं के अन्दर किसने भर दी इतनी थिरकन
किसने भरी शिशिर की आँचल में इतनी सिरहन
किसने सिखया कोयल को गाना दे मधुर कुंजन
किसने सिखाया मोर को पिहु-पिहु करके करना नर्तन
कौन करता है नभ के सिने पर मेघों का आच्छादन
कौन है वो जिसके इशारों पर दामिनी करती तर्जन
तितली को करके रंग-बिरंगा भौंरों को किसने दी गुंजन
किसने भरी सूरज की भृकुटी में इतनी अगन
बना नदी,नाले,पहाड़ किसने बनाई दुनिया इतनी मन-भावन
कौन है वो जिसने थाम रखा है सदियों से ये विशाल गगन
कौन है जो दिखता नहीं है हमको परदेता हमको स्पंदन
कौन है जो मिट्टी के सांचे सा बनाता बिगाड़ता जीवन
निश्चय ही वो छुपा-छुपाया बैठा होगा या तेरे या मेरे अंतर्मन
काश! वो एक बार मुझे मिल जाये कंही मैं भी तो देखूं कैसी है उसकी चितवन
आशा पण्डे ओझा मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर" से एक कविता { कौन है वो
आशा
14 टिप्पणियां:
very very beautiful
asha ji all yr poems r so beautiful and heart taking tht words fall short of praise..hats of to u!!!
Very very artistic, lovely & beautiful poems- right from the bottom of the heart
Beautiful & lovely words, fro the heart , poems praise worthy
You write excellently well. My best wishes..
beautifully compsoed!
congrate
vah koi aur nahi balki ,
apka nischhal ,seese jaisa niskalunk,
man hai
achchha hi dekhanewali ankhe ,
bhawukata poorna shabds likhnewali ,lekhani hai
tabhi to aap vah sab soach jati hai ,
jise jyadatar log na to dekh pate hai ,
aur na soch pate hai
sunder lekhan ke liye badhai
NICE TO SEE YOUR BLOG............GREAT GOING.LUV U TAKE CARE BHABHIJI
Aap key lfzon main...or aap ki kalam main.....ek jadu sa hai Asha ji...jo prhney valon ko ....manatr mugadh kr leta hai.....or voh vahh vahh kr uthta hai
बहुत सुन्दर रचना ..... एक एक शब्द जैसे मूर्तिकार की तरह गढ़ा गया है ...... भावपूर्ण .... यहाँ भी पधारे http://unbeatableajay.blogspot.com/
कल्पना को काव्य का मूल माना गया है| काव्य रचना की प्रक्रिया में कवि अपनी अनुभूति को कल्पना के सहारे शब्दों में अभिव्यक्त करता है...कभी सुन्दर...कभी सत्य...और कभी शिव रूप में प्रभावित होती है|
आशा जी...मैं क्या टिप्पणी करूँ,मैं स्वंम अंश मात्र हूँ...बस इतना ही कि आपकी पंक्तियाँ ह्रदयग्राही है...अनूठा प्रभावोत्पादक लिए हुए है| ऐसे दृष्टिकोण को मैं सादर नमन करता हूँ...
काव्य मार्ग पर आपका मार्ग प्रशस्त रहे...इन्ही कामनाओं के साथ
आपका शुभेच्छ....
राजीव मतवाला
aasha di..... bahut dino k baad aa payi hun .. aapki sare rachnyen fir se padhe ...
very very beautiful post ever i read.
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