आइना भला कब किसी को सच बता पाया है
जब भी देखा दायाँ अंग बाईं तरफ नज़र आया है
ऐसा नहीं किधूप जिंदगी में कभी आई ही नहीं
आके पलट गई, जो देखा दुआओं का साया है
लाडले ने दुत्कारा, फिर पिता ने अश्क पिए हैं
बहू ने आज फिर न दी रोटी माँ ने ग़म खाया है
दिल उसका मजबूत पहलवान के शरीर से कम नहीं
जिस किसी ने जम कर दर्दो ग़म का मेवा खाया है
मौसम के लबों पर क्यों है आज भीगी ग़ज़ल आशा
क्या आज फिर तेरे सुर्ख लबों पर मेरा नाम आया है
आशा पाण्डेय ओझा "आशा
"http://www.youtube.com/watch?v=1pYEYSw9HBU
जब भी देखा दायाँ अंग बाईं तरफ नज़र आया है
ऐसा नहीं किधूप जिंदगी में कभी आई ही नहीं
आके पलट गई, जो देखा दुआओं का साया है
लाडले ने दुत्कारा, फिर पिता ने अश्क पिए हैं
बहू ने आज फिर न दी रोटी माँ ने ग़म खाया है
दिल उसका मजबूत पहलवान के शरीर से कम नहीं
जिस किसी ने जम कर दर्दो ग़म का मेवा खाया है
मौसम के लबों पर क्यों है आज भीगी ग़ज़ल आशा
क्या आज फिर तेरे सुर्ख लबों पर मेरा नाम आया है
आशा पाण्डेय ओझा "आशा
"http://www.youtube.com/watch?v=1pYEYSw9HBU