याद की और ख़्वाब की बातें।
हर घड़ी बस ज़नाब की बातें।।
अब नये लोग सोच भी ताज़ा
हैं पुरानी हिज़ाब की बातें
प्यार के दरमियाँ लगी होने
देखिये अब हिसाब की बातें।
गंध बारूद की उड़ी इतनी,
गुम हुई हैं गुलाब की बातें।
पढ़ लिया भी करो कभी मन को,
सिर्फ़ पढ़ते क़िताब की बातें।
आज हँसलें चलो जरा मिलके
फिर करेंगे अज़ाब की बातें।
सूख जाएंगे जब नदी,सागर ,
बस बचेंगी फिर आब की बातें
लोग सीधे सरल बड़े हम तो,
क्या पता बारयाब की बातें।
दर्द, बेचैनियां कहेँ किससे,
कहें किसें इज़्तिराब की बातें।
अब मुहब्बत है गुमशुदा "आशा"
हर तरफ़ है इताब की बातें।
आशा पाण्डेय ओझा
हर घड़ी बस ज़नाब की बातें।।
अब नये लोग सोच भी ताज़ा
हैं पुरानी हिज़ाब की बातें
प्यार के दरमियाँ लगी होने
देखिये अब हिसाब की बातें।
गंध बारूद की उड़ी इतनी,
गुम हुई हैं गुलाब की बातें।
पढ़ लिया भी करो कभी मन को,
सिर्फ़ पढ़ते क़िताब की बातें।
आज हँसलें चलो जरा मिलके
फिर करेंगे अज़ाब की बातें।
सूख जाएंगे जब नदी,सागर ,
बस बचेंगी फिर आब की बातें
लोग सीधे सरल बड़े हम तो,
क्या पता बारयाब की बातें।
दर्द, बेचैनियां कहेँ किससे,
कहें किसें इज़्तिराब की बातें।
अब मुहब्बत है गुमशुदा "आशा"
हर तरफ़ है इताब की बातें।
आशा पाण्डेय ओझा
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