लेखन आपके मन का खालीपन भरता है . मन को सुकूं मिलता है ,.मेरे भीतर जब कोई अभाव कसमसाता है तब शायद रचना जन्म लेती है, मुझे पता नहीं चलता आभाव क्या पर कोई रिक्तता होती है है कुछ उद्द्वेलित करता है इन भावों की आत्यंतिक उत्कटता और विचारों का सघन प्रवाह मेरे शब्दों को आगे बढ़ाता है मेरी कलम में उतर आता है . कभी शब्द मुझमे थिरकन पैदा कर देते हैं कभी जड़ बना देते हैं मुझे क्षण -क्षण सघनतर होते हुवे विचारों के बादलों को कोई बरसने से रोक नहीं पाती हूँ तो कलम उठानी ही पड़ती है .
जनवरी 26, 2010
दो बूँद समुद्र के नाम
अश्कों में बड़ी तहजीब है यह हर कहीं पर नही बहा करते ,
अश्कों में बड़ी तहजीब है यह हर कहीं पर नही बहा करते , हँसी तो बड़ी ज़ाहिल है किसी की बेबसी पर भी आ जाये
Ye sher khud mein ek puri muqammal ghazal jaisi hai. Behatareen... Ek es sher ne Maabadaulat ko aapka murid kar diya hai. Umda... shubhanallah kya khubsurat lafzon ka pairahan hai aur kya sakhta maane ka badan... Excellent.. Thums Up;)
2 टिप्पणियां:
saral shbdo me bhav gahre
hriday ko sprsh kari hain aapki kavitaaye
अश्कों में बड़ी तहजीब है यह हर कहीं पर नही बहा करते , हँसी तो बड़ी ज़ाहिल है किसी की बेबसी पर भी आ जाये
Ye sher khud mein ek puri muqammal ghazal jaisi hai.
Behatareen... Ek es sher ne Maabadaulat ko aapka murid kar diya hai.
Umda... shubhanallah kya khubsurat lafzon ka pairahan hai aur kya sakhta maane ka badan...
Excellent..
Thums Up;)
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