जनवरी 27, 2010

नही पूज पाउंगी

और नही पूज पाउंगी उन पथरों को
जिनके अस्तित्व की चाह ने किया हो
इंसानियत को लहू लुहान
जीवन श्मशान
मेले वीरान
इन्सान को इन्सान से अनजान
ज़र्रे ज़र्रे को परेशान
मेरी अटूट आस्था को हैरान !
मेरी पुस्तक "वक्त की शाख पे " से

1 टिप्पणी:

खोरेन्द्र ने कहा…

इन्सान को इन्सान से अनजान

sach aur sundar