जनवरी 26, 2010

धीमे धीमे जल

मत फ़ैल जंगल की धधकती आग की तरह
धीमे -धीमे जल मंदिर के चराग की तरह
ज़िन्दगी में कोई न कोई ख़ता जरूर हुई होगी
आज भी बाक़ी है चाँद के दामन पे दाग की तरह
मेरी पुस्तक "ज़र्रे ज़र्रे में वो है "से

1 टिप्पणी:

खोरेन्द्र ने कहा…

ज़िन्दगी में कोई न कोई ख़ता जरूर हुई होगी
आज भी बाक़ी है चाँद के दामन पे दाग की तरह

bahut bahut -jindagi ke karib laate shbd

bahut sundar