जनवरी 26, 2010

हथेली पर मेरी

हथेली पर मेरी शबनम रख गया जब से वो ग़रीब बच्चा अपनी आँखों का
सोचती हूँ काश!मैं सीप होती तो बना देती मोती वो अश्क उसकी आँखों का
मेरी पुस्तक "दो बूँद समुद्र के नाम "से