फ़रवरी 10, 2010

सुकूं का एक कलाम लिख
सबको दुआ सलाम लिख
नज़र मुहब्बत की करले
जुबां प्रीत का पयाम लिख
इक ख़त तहरीरे -अमन का
इस ज़माने के नाम लिख
संग अँधेरा न लाये
ऐसी कोई शाम लिख
मुश्किलातों भरे दौर का
वक्त अब यहीं तमाम लिख
या मुकर अपने वजूद से
या शऊर से निजाम लिख
मेरी पुस्तक "ज़र्रेज़र्रे में वो है "से

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