फ़रवरी 03, 2010

ग़ज़ल के शेर

करके ख़ाके सुपुर्द मिट्टी मेरी छानता है कोई
मैंने मर के जाना मुझे कितना मानता है कोई
नेकी कर और कुएँ में डाल ये जुमला याद रख
मतलब निकल जाने पे कब पहचानता है कोई
मेरी पुस्तक "जर्रे जर्रे में वो है " से

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