फ़रवरी 28, 2010

रखने को दुनिया साफ़-स्फ्फ़ा अब कबाड़ी की ज़िन्दगी जी जाये
नफ़रतों की रद्दी के बदले मुहब्बत की कीमत अदा की जाये
मेरी पुस्तक "ज़र्रे -ज़र्रे में वो है "से

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