फ़रवरी 03, 2010

क्यों सुबह के द्वार पे छाया अँधेरा

क्यों सुबह के द्वार पे छाया अँधेरा
आज किसके भाग में आया अँधेरा
रौशनी लाने की शपथ ली जिन- जिन ने
उन्ही ने हर तरफ फैलाया अँधेरा
मैं जिधर चली आशा की किरने थामे
साथ चला आया हम साया अँधेरा
सारे शहर ढूंढे प्यार की तलाश में
हर गाली नफ़रतों का पाया अँधेरा
रौशनी भी उन्ही के घर मिली मुझको
जिनके ज़हन में उतर आया अँधेरा
जाने अब कौनसा वेश पहनेगा
इंसा के खून से नहाया अँधेरा
बेखौफ मिला शहर के बाकी लोगों से
ईमानदार से कतराया अँधेरा
सोते शहर में देखकर जगता बच्चा
क़दम बढ़ाने से कतराया अँधेरा
ऐ शमा इस वक्त अलसाना ठीक नहीं
जब चारो तरफ़ हो गहराया अँधेरा

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