एक कार खाई में गिरी ,
चार लोग मर गए
उन्हें न बचा पाने पर-
कितने रोये तुम
तुम्हें कितना अफ़सोस हुआ
चलो तुम तो सवेंदनशील हो
इस बात की बड़ी खुशी है मुझे
पर करोड़ों इन्सान जाँत-पाँत की-
इन गहरी खाइयों में गिर गए,
अगिनत,असंख्य मर गए
इन्हें न बचा पाने पर
एक भी आंसू न गिराया तुमने
जरा भी अफ़सोस न हुआ तुम्हें
तुम भी कितने संवेदनहीन हो
इस बात का बहुत दुःख है मुझे !
मेरी पुस्तक "दो बूँद समुद्र के नाम "से
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