फ़रवरी 10, 2010

मज़बूर कर देंगे

अंधेरों तुम्हे रास्ता छोड़ने को मज़बूर कर देंगे
मेरे मंदीरे-वतन में फ़िर से वो चरागाँ जल उठे हैं
गफ़लत में जो घड़ियों तलक सुस्ताते रहे बेखबर
वो लम्हे फ़िर से बेदार होने के लिए मचल उठे हैं
मेरी पुस्तक "ज़र्रे -ज़र्रे में वो है "से

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