लेखन आपके मन का खालीपन भरता है . मन को सुकूं मिलता है ,.मेरे भीतर जब कोई अभाव कसमसाता है तब शायद रचना जन्म लेती है, मुझे पता नहीं चलता आभाव क्या पर कोई रिक्तता होती है है कुछ उद्द्वेलित करता है इन भावों की आत्यंतिक उत्कटता और विचारों का सघन प्रवाह मेरे शब्दों को आगे बढ़ाता है मेरी कलम में उतर आता है . कभी शब्द मुझमे थिरकन पैदा कर देते हैं कभी जड़ बना देते हैं मुझे क्षण -क्षण सघनतर होते हुवे विचारों के बादलों को कोई बरसने से रोक नहीं पाती हूँ तो कलम उठानी ही पड़ती है .
sach kaha aapne asha ji...ye padkar tu muje dar lag raha hai ki hum itna muskil jivan ki or ja rahe hai to hamari aane wali pidi ki liye ye desh kitna muskil bhara or takliff wala ban jayega.... apki in pantiyo ne muje sochne per majbur kar diya asha ji....
2 टिप्पणियां:
jee asha jee apki dil aur dilli vali kavita sonch bhut hi achhi hai hame bhut pasand ayee--subhkamna apki,isi trah likhti rhe---jai shri rkishna
sach kaha aapne asha ji...ye padkar tu muje dar lag raha hai ki hum itna muskil jivan ki or ja rahe hai to hamari aane wali pidi ki liye ye desh kitna muskil bhara or takliff wala ban jayega.... apki in pantiyo ne muje sochne per majbur kar diya asha ji....
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