मार्च 06, 2010

भावों का पानी

रीत गए हैं प्रीत भरे पतीले
उलट गई है संस्कारों की थाली
मन-मटके में नहीं भावों का पानी
आदर्शों का डिब्बा खाली-खाली
बासी हुई सुगंध सम्बन्धों की
रिश्ते हुए हैं ज़हर की प्याली
पावन नही रही अग्नि चूल्हे की
कुंठा के धुएं से घर-दीवारें काली
आँखें मुस्काती कुटिल मुस्काने
मुख का अभिवादन बन गाया गली
बिखरी आदर -सत्कारों की रंगोली
टूट गई मान मनुहारों की डाली
पेड़ों पर लोभ लालच की अमराई
उगी फ़सलो पर ग़द्दारी की बाली
विकसी दूषित विचारों की फुलवारी
फ़ैली पाप अधम की हरियाली
दया करुना के पक्षी न आ पते अन्दर
छल -कपट बन गया मन का माली
वासनाओं से भरा भौंरों का गुंजन
तितलियों मुख नहीं लाज़ की लाली
कच्चे पड़ गये प्रण के पत्थर
ढह गई इमारतें मिसालों वाली

मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

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