मार्च 06, 2010

चल साथी मेरे साथ चल


मैं तम से अकेले नहीं लड़ सकती
चल साथी मेरे साथ चल
चल आज किसी के दर्द-ग़म
खुद उनकी ज़बानी सुनते हैं
बहुत सुन चुके दर्द के गीत गज़ल

किसी आहत को कुछ तो राहत देंगे
तेरे अंतर की करुना,मेरा नयन जल
ये जीवन पहेली मुस्किल जिनको
आ हम-तुम ढूंढें उनकी ख़ातिर कोई हल

जो हैं अंधेरों में उनकी ख़ातिर चाँद मनायें
जो तपिश में, खींच लायें उनके लिए बादल
आ हम-तुम,तुम-हम करके सब मिल जाएं
फ़िर न होगी कभी अपनी राहें मुश्किल

मैं तम से अकेले नहीं लड़ सकती
चल साथी मेरे साथ चल
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

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