मार्च 20, 2010

तेरे बारे में बस इतनी खबर है
मेरे दिल में आज भी तेरा घर है
ताज दौलत से बनता, मुहब्बत से नहीं
प्यार ग़रीब का क्या कमतर है
आज महताब घर से निकला ही नहीं
या बैठा उनकी जुल्फों में छुपकर है
वादियाँ गुल से महकाने वालों की
सिसक रही ज़िंदगी काँटों पर है
ज़ख्म तो भर गए तेरी बेवफाई के
दर्द का अभी बाक़ी कुछ असर है

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