मार्च 05, 2010


मंजिलें मकसद को पा लेना इतना आसान न था
चंद क़दम भी साथ देता ऐसा इक भी इंसान न था

रोशनी के लिए दिल भी अपना जलाया कई-कई बार
ज़िन्दगी में फ़िर भी उजालों का नामो निशान न था

तमाम उम्र जिसको पूजा था,पूजा की हर इक विधि से
वक्ते -रुखसत पता चला कि वो मेरा भगवान न था

दिल का दरवाज़ा खटखटाता रहा जो दिल के जगने तक
दरवाज़ा खोला तो पाया वो इस दिल का मेहमान न था

मौत से पहले मुश्किल था यारों खुद को दफ़न कर देना
वरन ज़िन्दगी भर तो हम पे किसी का कोई अहसान न था

मेरी पुस्तक "दो बूँद समुद्र के नाम "से

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