मार्च 21, 2010

ग़ज़ल हर एक लफ्ज़ में ग़म अपना ढाल लेते हैं
 हर इक वरक पर कलेजा निकाल लेते हैं
 हम जानते हैं ये पहलू भी दोनों तेरे ही हैं
 सुकून भर को ये सिक्का उछाल लेते हैं 
अजीब शोर है अहसास का मेरे दिल में
 गुब्बारे दिल से ये सागर निकाल लेते हैं
 ज़हर पियेगा भला कौन इन हवाओं का
 मिज़ाजे शिव की तरह खुद में ढाल लेते हैं
तेरी बेवफ़ाई पे यकीं करें तो मर ही जायें शायद 
यह ख़याल ही दिल से निकाल लेते हैं
 ये दर्दो -ग़म भी कहाँ ख़त्म होंगे आशा के
 ले ज़िन्दगी तुझे बस इक सवाल देते हैं 


20 टिप्‍पणियां:

Judgment and Citation ने कहा…

bahut acche. khoobsurat lekhni. maa saraswati ki kraipa bani rahe aap pe.

Rajendra Tripathi ने कहा…

jai shring,ASHA ji, surya kripa se aap me jo kavita ka bhav jagrit hua hai, sada utrottar pragati kare. aapke yesh,kirti me vridhi ho sikhwal samaj ki honhaar mahila ho.......islie aapse niveden hai ki ORKUT per sikhwal(shringi) samaj community ko visit kare &
join kare.

aman ने कहा…

om sai ram

bahut virle hi hote hain we log jo vastvikta ko bade aasan se shabdon main logon ke samne rakh dete hain ...aapki is sadgee ko naman

aapka yash yuhi dinidin badtarahe yahi kamna prabhu se karta hun ..

aatma ki chori its realy true....

keep writing keep boosting

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

ग़म अपना लफ़्ज़ों में ढाल लिया मैंने
क़ागज पर कलेजा निकाल लिया मैंने

वाह !! वाह !! ... क्या मतला है ,
मज़ा आ गया ||

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जानती हूं हेड -ओ -टेल सब तेरी ही मर्जी है
सिर्फ सुकूं खातिर सिक्का उछाल लिया मैंने

कुछ अलग सा .....!!
बहुत खूब .....!!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

आशा जी,

आज थारा ब्लाग पै म्हे आया,
चोखो लाग्यो, कदे फ़ुरसत में पढसां,
धोरां री धरती री कहाणी।

राम राम

Unknown ने कहा…

आशा जी अपने परिवेश के प्रति सजग कलाकार है। आप भाव और कथ्य दोनों स्तर पर सशक्त है। आपकी लेखनी में गजब की कशिश है और मानस पटल पर स्थायी रूप से अंकित हो जाने का सामर्थ्य।

Bhoma Ram Jat ने कहा…

Aaj aapka blog padha bhut achha laga aap ek umda koti ki kaviyatri hai...

dhanyavad

Narendra Vyas ने कहा…

आशा जी सादर नमस्‍कार । मैंने आज पहली बार आपका ब्‍लॉग देखा, बेहद खुशी हुई । हालांकि आपको अभी तक अल्‍प ही पढ पाया हूं लेकिन जहां तक मैंने पढा है, पाया है कि आपका लेखन संवेदनशील होने के साथ साथ उनमें भाव, भाषा और शिल्‍प तीनो ही स्‍तरीय होते हैं और मनमस्तिष्‍क में अमिट असर छोड जाता है । अगर आपकी पुस्‍तक पढने को मिल जाए तो क्‍या कहने..।

आपका लेखन उत्‍तरोत्‍तर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहे इन्‍हीं शुभकामनाओं के साथ आभार ।

अरुणेश मिश्र ने कहा…

आशा जी . बहुत सुन्दर लिखा है . बहुतोँ के मन की बात कह दी है सहजता से । बधाई ।
पोस्ट डालती रहें ।

अरुणेश मिश्र ने कहा…

नयी पोस्ट डालती रहें आशा जी ।

अनिल पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही अच्छी रचना है आशाजी। सुकून मिलता है ऐसी पंक्तियां पढ़कर।

Khare A ने कहा…

beautifully expressed "LIFE"

समयचक्र ने कहा…

ग़म अपना लफ़्ज़ों में ढाल लिया मैंने
क़ागज पर कलेजा निकाल लिया मैंने
कौन पियेगा इन हवाओं में घुला ये ज़हर
कोई शिव नहीं, हर मन खंगाल लिया मैंने

बहुत ही भाव पूर्ण रचना .... आज प्रथम बार आपका यह ब्लॉग देखा .. बहुत अच्छा लगा.. आभार

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

bahoot achchhi gazalhai. is blog ki sari gazale tarif ke kabil. very nice..........

upendra ( www.srijanshikhar.blogspot.com )

karan ने कहा…

याद रखो प्यार दिल में होना चाहिए लफ्जों में
नही ..
और
नाराज़गी लफ्जों में होनी चाहिए दिल में नही ..

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aasha di aaj pahli baar aapke blog par aayi aur man aapka ho gaya. kya kahun aapki lekhni ko .........har shabd me marm ko chhunewala ahsas hai ..........
kabhi mere blog par bhi aaiye .......
http://rajninayyarmalhotra.blogspot.com/

Unknown ने कहा…

आज पहली बार ऑरकुट के थ्रू आपके ब्लॉग पर आना हुआ. ऐसा लगा कि पहले क्यूँ नहीं देखा आप.... ब्लॉग.... बहुत अच्छा है आपका ब्लॉग ...और आपकी लेखनी.... रिगार्ड्स.

Unknown ने कहा…

आशा जी सादर नमस्‍कार । मैंने आज पहली बार आपका ब्‍लॉग देखा, बेहद खुशी हुई । हालांकि आपको अभी तक अल्‍प ही पढ पाया हूं लेकिन जहां तक मैंने पढा है, पाया है कि आपका लेखन संवेदनशील ह

Arti Raj... ने कहा…

waah..bahut pyari sundar si rachna hai...badhai...aap apni book ka koi link de sakti hai....