मार्च 14, 2010

ग़रीब का जीवन


'दर्द 'के समृद्ध महल हैं

'रंज़" की ऊँची दीवारें

'दुःख 'का रंग रोगन सजा

बंधी 'वेदनाओं ' की बन्दनवारें

'विपदाओं के बाग़ -बग़ीचे

'करुण'झूलों की कतारें

'आंसू 'के रिमझिम सावन

'कसक' की शीतल फुहारें

'चिंताओं 'के झाड़-फानूस से

'सजते' घर के गलियारे

'बेबसी के पलंग पर लेटी

दुल्हन'पीड़ा 'की चीत्कारें

'सूनेपन की साँझ में आता

दूल्हा'मजबूरी घर -द्वारे

दे 'अभावों ' की महंगी मिठाई

करते लाडलों की' मनुहारें '

पा 'दुत्कारों 'के खेल -खिलौने

खिलतीं बच्चों किलकारें

रोज़ सजाते आँगन देहरी

दीपक से 'आहों 'के अंगारे

'भूख 'परी सी छम -छम आती

टिम-टिम करते 'टीस' के तारे

जब' अरमानों का चूल्हा' जलता

मिल बैठ खाते ग़म सारे

'कंटक -प्रस्तर' के कोमल बिस्तर

बजती आल्हादित स्वपन झंकारें

'अँधेरे 'लिखते जिस की यश गाथा

यही है 'ग़रीब 'का जीवन प्यारे


मेरी पुस्तक '"एक कोशिश रोशनी की ओर'" से



3 टिप्‍पणियां:

खोरेन्द्र ने कहा…

'अँधेरे 'लिखते जिस की यश गाथा


यही है 'ग़रीब 'का जीवन प्यारे

jivan me sanghar ki baat ..prabhavshali kavy

Lakahn Singh" Nowgan" ने कहा…

भगबान से दुआ करते हे आप दिन दुगनी रात चोग्नी तर्रकी करे

Ravindra Belwal [ Krantikaari ] ने कहा…

Asha ji aap humesh aage badte rahen mare rajhstaan uttrakhand hi nhi varan sampourn bharat ki sanskriti ko ujaagar karen , aal the best aunty ji