हवा मिस- झुक -लुक -लुक -छुप
डार-डार से करे अंखियां चार
कस्तूरी हुई गुलाब की साँसें
केवड़ा,पलाश करे श्रृंगार
छूते ही गिर जाये पात लजीले
इठलाती-मदमाती सी बयार
सुन केकि-पिक की कुहूक-हूक
बौरे रसाल घिर आये कचनार
अम्बर पट से छाये पयोधर
सुमनों पर मधुकर गुंजार
कुंजर,कुरंग,मराल मस्ती में
मनोहर,मनभावन संसार
यमुना- तीरे माधव बंशी
फिर राधे-राधे करे पुकार
नख-शिख सज चली राधे-रमणी
भर मन-अनुराग अपरम्पार
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से
1 टिप्पणी:
मनोहर,मनभावन संसार
यमुना- तीरे माधव बंशी
फिर राधे-राधे करे पुकार
shbdo ka sundar pryog
man ko moh lene vaali rachna
एक टिप्पणी भेजें