इक ऐसा स्वर्णिम सवेरा होगा
फ़िर न कहीं कोई अँधेरा होगा
सूरज उगेगा ऐश्वर्य वैभव का
समृद्धि का घर-घर फेरा होगा
आनंद-उत्सव की होंगी बस्तियां
चमकता हुआ हर चेहरा होगा
विषाद-वेदना जहाँ वर्जित होंगे
प्रहरी सुख प्रमोद का घेरा होगा
गूंजेगी "जय हो" की अनुगूंज
भाल पे कीर्ति का सेहरा होगा
उन्नति-प्रगति की होगी हरियाली
ऐसा सुन्दर भारत -वर्ष मेरा होगा
फिर चहकेगी सोने की चिड़िया
उस दिन धन्य जीवन मेरा होगा
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से
1 टिप्पणी:
well perfect imagination. the best thing is the perfect imagination is presented in perfect words.
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