कुछ भी देखूं ज़हन के आईने में
चेहरा तो उसी का होता है
जब भी या खुदा बोलती हूँ लब से
दिल में नाम उसी का होता है
में कहां करती हूँ कुछ अपने मन से
जो वो चाहे वही होता है
रोती भी हूँ तो सिर्फ़ अश्क मेरे बहते हैं
दिल में दर्द तो उसी का होता है
मेरी पुस्तक "दो बूँद समुद्र के नाम "से
चेहरा तो उसी का होता है
जब भी या खुदा बोलती हूँ लब से
दिल में नाम उसी का होता है
में कहां करती हूँ कुछ अपने मन से
जो वो चाहे वही होता है
रोती भी हूँ तो सिर्फ़ अश्क मेरे बहते हैं
दिल में दर्द तो उसी का होता है
मेरी पुस्तक "दो बूँद समुद्र के नाम "से
1 टिप्पणी:
very nice ......................
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